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एनसीपी में मतभेद और शरद पवार के भतीजे के बीजेपी से हाथ मिलान...

एनसीपी में मतभेद और शरद पवार के भतीजे के बीजेपी से हाथ मिलाने के बाद, शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाले अगस्त में पहली बार मंच साझा करेंग

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Excutive Editor

11 जुलाई 2023, सुबह 07:41


Maharashtra Politics Crisis: महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार और अजित पवार गुटों के बीच एनसीपी पर दावा ठोंकने को लेकर खींचतान जारी है. दोनों ही गुटों ने चुनाव आयोग में चुनाव चिन्ह और एनसीपी पर अपने हक को लेकर याचिका दाखिल कर दी है. इस बीच खबर है कि शरद पवार और अजित पवार एक बार फिर से साथ आ सकते हैं. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महाराष्ट्र के पुणे में 1 अगस्त को लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इस कार्यक्रम में एनसीपी चीफ शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के आने की संभावना है.

लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार देने वाले ट्रस्ट की ओर से पीटीआई को बताया गया कि पीएम नरेंद्र मोदी को ये पुरस्कार उनके अनुकरणीय नेतृत्व और नागरिकों में देशभक्ति की भावना पैदा करने के उनके प्रयासों के लिए दिया जा रहा है. ट्रस्ट की ओर से बताया गया कि इस पुरस्कार में एक स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र शामिल है. वहीं, दो गुटों में बंट चुकी एनसीपी के शरद पवार और अजित पवार भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो ये एनसीपी में हुई टूट के बाद पहला ऐसा मौका होगा, जब चाचा-भतीजा एक ही मंच पर नजर आएंगे.

चुनाव आयोग कैसे करेगा 'पावर' का फैसला?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व चुनाव आयुक्त सुनील अरोरा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से सुझाए गए थ्री टेस्ट फॉर्मूले से एनसीपी पर किए जा रहे दावों का निस्तारण किया जाएगा. उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग इन्हीं  मानदंडों के आधार पर अपना फैसला सुनाएगा. हालांकि, ये जल्द होता नहीं दिख रहा है. 

क्या हैं ये मौलिक मानदंड?
पार्टी के लक्ष्यों और उद्देश्यों की जांच, पार्टी के संविधान की जांच और बहुमत की जांच, इन तीन मानदंडों पर दोनों गुटों के दावों को खरा उतरना होगा. जो इन मानदंडों को पूरा करेगा, एनसीपी पर उसी का कब्जा होगा. इसके बारे में सुनील अरोरा बताते हैं, ''पहले मानदंड के अनुसार चुनाव आयोग ये देखता है कि क्या कोई गुट पार्टी के लक्ष्यों और उद्देश्यों से भटका तो नहीं, जो उनके बीच मतभेदों के उभरने की मूल वजह है. दूसरे मानदंड में आयोग तय करता है कि क्या पार्टी उसके संविधान के हिसाब से चलाई जा रही है. तीसरे में ये देखता है कि गुटों के बीच विधायिका और पार्टी संगठनात्मक ढांचे में किसकी पकड़ ज्यादा मजबूत है.''

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