होम राजनीति-चुनाव खेल गाँव-किसान राज्य-प्रदेश देश-विदेश वीडियोज धर्म-ज्योतिष बिजनेस खबरें और भी सुर्खियां टेक-वर्ल्ड
×
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए तेजी से कद...

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए तेजी से कदम बढ़ रहे हैं, क्‍या है Uniform Civil Code?

...

Jangan News Desk

30 जून 2023, दोपहर 10:21


Uniform Civil Code उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए तेजी से कदम बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट बनाने का कार्य पूरा कर लिया है। बता दें कि पुष्कर सिंह धामी सरकार ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूनिफार्म सिविल कोड) लागू करने का संकल्प लिया था। आइए जानते हैं क्‍या होता है समान नागरिक संहिता, विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट बनाने का कार्य पूरा कर लिया है।सभी वर्गों, धर्मों व राजनीतिक दलों से संवाद के बाद ड्राफ्ट को अंतिम रूप दे दिया गया है। माना जा रहा है कि जुलाई के पहले पखवाड़े में मुख्यमंत्री को समिति ड्राफ्ट सौंप देगी। आइए जानते हैं क्‍या होता है समान नागरिक संहिता?...

समान नागरिक संहिता की खास बातें

  • बता दें कि प्रदेश सरकार ने 27 मई 2022 को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट बनाने के लिए जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, जिसमें चार सदस्य शामिल किए गए।
  • बाद में इसमें सदस्य सचिव को भी शामिल किया गया। इस समिति का कार्यकाल दो बार बढ़ाया गया। इसी वर्ष मई में इसका कार्यकाल चार माह के लिए बढ़ाया गया।
  • विशेषज्ञ समिति के 13 माह के कार्यकाल में अभी तक 52 बैठकें हो चुकी हैं और समिति को 2.50 लाख से अधिक सुझाव मिले हैं।
  • समिति ने अपने कार्यकाल में विभिन्न धर्मों, समुदाय व जनजातियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करने के साथ ही प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जाकर स्थानीय व्यक्तियों से भी सुझाव लिए।
  • समिति प्रवासी उत्तराखंडियों के साथ ही सभी राजनीतिक दलों से भी इस संबंध में सुझाव ले चुकी है।

ये हैं समिति के सदस्य

जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में गठित समिति में जस्टिस प्रमोद कोहली (सेनि), उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, दून विवि की कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल और सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ शामिल हैं। समिति के सदस्य सचिव अजय मिश्रा हैं।

क्या है समान नागरिक संहिता

  • यूनिफार्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) का अर्थ होता है - भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून। चाहे व्‍यक्ति किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो।
  • समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक कानून लागू होगा।
  • यह एक पंथ निरपेक्ष कानून है, जो सभी के लिए समान रूप से लागू होता है।

इस कानून पर निरंतर चल रही बहस

अभी देश में मुस्लिम, इसाई, और पारसी का पर्सनल ला लागू है। हिंदू सिविल ला के तहत हिंदू, सिख और जैन आते हैं, जबकि संविधान में समान नागरिक संहिता अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताया गया है। ये आज तक देश में लागू नहीं हुआ है। इस कानून पर निरंतर बहस चल रही है।

सिर्फ गोवा में लागू है समान नागरिक संहिता

देश में अभी गोवा एकमात्र राज्य है, जहां समान नागरिक संहिता लागू है। अब उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे लागू करने की बात कही है।

सम्बंधित खबर
ताजा खबर
ब्रेकिंग न्यूज़