18 अगस्त 2023, दोपहर 10:05
मां-बाप हों या फिर सास-ससुर अगर वे अपने बच्चों के व्यवहार या फिर देखभाल को लेकर उनसे नाराज हों तो वे अपनी संपत्ति से उन्हें बेदखल कर सकते हैं. राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि बुजुर्ग मां-बाप की सही तरीके से देखभाल नहीं किए जाने की सूरत में वे अपनी संपत्ति से उन्हें बाहर करने का अधिकार रखते हैं.
राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वीकार किया है कि बुजुर्ग दंपति अगर बच्चों या फिर रिश्तेदारों के व्यवहार से संतुष्ट नहीं हैं और उनका ठीक से ख्याल नहीं रखा जा रहा है तो वे अपनी संपत्ति से उन्हें दूर कर सकते हैं.
यही नहीं बुजुर्ग के फैसले को देखते हुए मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल यानी एसडीओ कोर्ट के पास यह अधिकार होगा कि बुजुर्ग लोगों की ओर से आए अनुरोध के बाद बेटे-बहू या फिर किसी अन्य रिश्तेदार को उनकी संपत्ति पर किसी तरह के दावे को बेदखल करते हुए नकार सकता है.
राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एजी मसीह और जस्टिस समीर जैन की दो सदस्यीय बेंच ने यह आदेश कोर्ट की सिंगल बेंच की ओर से 2019 में 12 सितंबर को ओमप्रकाश सैन वर्सेज मनभर देवी केस को लेकर दिया.
दो सदस्यीय बेंच ने अपने फैसले में कहा कि सुप्रीम कोर्ट समेत देश के कई हाई कोर्ट की ओर से मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के पास संपत्ति से जुड़ी बेदखली की शक्ति को मान्यता दी गई है. मामले से जुड़ी अगली सुनवाई 27 अगस्त को होनी है.
कोर्ट के इस फैसले से उन बुजुर्ग लोगों को खासी राहत मिली है जिसमें वे अपने बच्चों या रिश्तेदारों की ओर से समुचित तरीके से व्यवहार नहीं किए जाने को लेकर नाराज रहते हैं और उन्हें खासी तकलीफों का सामना करना पड़ता है.
हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच में रेफरेंस तय नहीं होने की वजह से इस तरह से जुड़े कई मामले अटके पड़े हैं. रेफरेंस तय नहीं होने से कोर्ट फैसला नहीं सुना पा रहा था. यहां तक की कोर्ट की सिंगल बेंच के पास भी इस तरह की ढेरों याचिकाएं लंबित पड़ी हुई थी. हालांकि माना जा रहा है कि रेफरेंस तय किए जाने की वजह से इस तरह के केसों का जल्द-जल्द निपटारा किया जा सकेगा.