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गुरु पूर्णिमा पर क्यों मनाया जाता है वेदव्यास जी का जन्मदिवस

गुरु पूर्णिमा पर क्यों मनाया जाता है वेदव्यास जी का जन्मदिवस

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Jangan News Desk

30 जून 2023, दोपहर 03:28


महर्षि वेद व्यास जी का जन्म दिवस गुरु पूर्णिमा के रूप में आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भगवान विष्णु जी के अंशावतार भगवान वेद व्यास जी का वास्तविक नाम कृष्ण द्वैपायन है। द्वीप में जन्म लेने के कारण इनका नाम कृष्ण द्वैपायन रखा गया। इनके पिता ऋषि पराशर जी तथा माता सत्यवती थीं।


सर्वप्रथम एक ही वेद था। जब इन्होंने धर्म का ह्रास होते देखा तो इन्होंने वेदों का व्यास कर अर्थात उनका विभाग कर वेदों का ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद आदि नामों से नामकरण किया। इस प्रकार वेदों का व्यास करने से ये कृष्ण द्वैपायन से महर्षि वेद व्यास के नाम से प्रसिद्ध हुए। महर्षि वेद व्यास जी ने इसके अलावा वेदों के अर्थ को लोक व्यवहार में समझाने के लिए पंचम वेद के रूप में महाभारत ग्रन्थ के अलावा अठारह पुराणों के रूप में अद्वितीय वैदिक धर्म ग्रन्थों की रचना की। इस प्रकार समस्त वैदिक ज्ञान निधि को एक सूत्र में पिरोने वाले सूत्रधार महर्षि वेद व्यास जी की पावन जयन्ती गुरु पूर्णिमा संपूर्ण भारतवर्ष में उल्लासपूर्वक मनाई जाती है।

भगवान वेद व्यास जी ने अपनी तपस्या एवं ब्रह्मचर्य की शक्ति से सनातन वेद का विस्तार करके इस लोकपावन पवित्र इतिहास का निर्माण किया है। जब इन्होंने मन ही मन ‘महाभारत’ की रचना कर ली तब उन्होंने विघ्नेश्वर गणेश जी से प्रार्थना की कि आप इसके लेखक बन जाइए, मैं बोलकर लिखाता जाऊंगा। तीन वर्षों के अथक परिश्रम से इन्होंने महाभारत ग्रन्थ की रचना की।

देवर्षि नारद जी ने देवताओं को, असित और देवल ऋषि ने पितरों को इसका श्रवण कराया है। शुकदेव जी ने गन्धर्वों एवं यक्षों को तथा इस मनुष्य लोक में महर्षि वेद व्यास के शिष्य धर्मात्मा वैशम्पायन जी ने इसका प्रवचन किया है। महाभारत में ही भगवान श्री कृष्ण जी द्वारा अर्जुन को माध्यम बनाकर लोक कल्याण के लिए प्रदान किया गया श्री मद्भगवद्गीता जी का पावन उपदेश भी संकलित है।

व्यासाय विष्णुरूपाय व्यासरूपाय विष्णवे। नमो वै ब्रह्मनिधये वासिष्ठाय नमो नम:।
अर्थात्- व्यास विष्णु के रूप हैं तथा विष्णु ही व्यास हैं ऐसे वसिष्ठ-मुनि के वंशज का मैं नमन करता हूँ।


नमोऽस्तु ते व्यास विशालबुद्धे फुल्लारविन्दायतपत्रनेत्र:। येन त्वया भारततैलपूर्ण: प्रज्ज्वालितो ज्ञानमयप्रदीप:।।
अर्थात्- जिन्होंने महाभारत रूपी ज्ञान के दीप को प्रज्ज्वलित किया ऐसे विशाल बुद्धि वाले महर्षि वेदव्यास जी को मेरा नमस्कार है।

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