होम राजनीति-चुनाव खेल गाँव-किसान राज्य-प्रदेश देश-विदेश वीडियोज धर्म-ज्योतिष बिजनेस खबरें और भी सुर्खियां टेक-वर्ल्ड
×
तलाक के लिए लगे 38 साल, HC से सुप्रीम कोर्ट तक चला केस, पति...

तलाक के लिए लगे 38 साल, HC से सुप्रीम कोर्ट तक चला केस, पति को देना होगा 12 लाख, दिलचस्प है मामला

...

Excutive Editor

07 अगस्त 2023, सुबह 09:49


ग्वालियर. तलाक के कई किस्से सुने होंगे, लेकिन मध्य प्रदेश के ग्वालियर में तलाक का एक अनोखा मामला सामने आया है. ग्वालियर हाईकोर्ट ने पति-पत्नी को 38 साल की कानूनी लड़ाई के बाद तलाक लेने की अनुमति दी है. 38 साल पहले भोपाल न्यायालय से शुरू हुआ तलाक का यह मामला विदिशा कुटुंब न्यायालय, ग्वालियर कुटुंब न्यायालय, हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. न्यायालय ने इंजीनियर पति को 12 लाख रुपये एकमुश्त पत्नी को देने की शर्त पर तलाक की अनुमति दे दी है. दरअसल, भोपाल के रिटायर्ड इंजीनियर की शादी सन 1981 में ग्वालियर की युवती से हुई थी. 4 साल तक इनके घर में बच्चा नहीं हुआ तो पति-पत्नी के बीच विवाद होने लगा. विवाद इतना बड़ा कि 1985 में इंजीनियर पति ने पत्नी के खिलाफ तलाक के लिए आवेदन लगा दिया.

हालांकि उस दावे को कोर्ट ने खारिज कर दिया था. यहां से दोनों के संबंध बिगड़े और दोनों पति-पत्नी पूरी तरह से अलग रहने लगे. बाद में इंजीनियर पति ने विदिशा कोर्ट में तलाक का आवेदन पेश किया. पत्नी ने 1989 में ग्वालियर की फैमिली कोर्ट में एक आवेदन देकर पति के साथ पुनर संबंध स्थापना की गुहार की. इस दौरान कोर्ट ने इसे एक पक्षी कार्रवाई मानते हुए पति को तलाक का हकदार मानते हुए फैसला सुनाया.  मार्च 1990 में पति ने दूसरी शादी कर ली, लेकिन पहली पत्नी ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में गुहार लगाई और हाईकोर्ट ने इस आवेदन को स्वीकार करते हुए मामला सुनवाई में ले लिया.

पति-पत्नी के बीच अदालत में चलती रही लंबी लड़ाई

विदिशा में लंबित तलाक के केस को कोर्ट ने साल 2000 में खारिज कर दिया. इसके खिलाफ पति ने ग्वालियर हाईकोर्ट में अपील की. हाईकोर्ट ने 2006 में पति की अपील को खारिज कर दिया. अखिरा में पति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए एसएलपी दायर की. सुप्रीम कोर्ट से 2008 में पति की एसएलपी भी खारिज कर दी, जिसके बाद पति ने 2008 में फिर से विदिशा कोर्ट में तलाक का आवेदन पेश किया. 7 साल की सुनवाई के बाद विदिशा कोर्ट ने जुलाई 2015 में पति का आवेदन खारिज कर दिया. अखिरा में पति ने हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में तलाक के लिए अपील दायर की. यहां सुनवाई के दौरान दोनों पति पत्नी में तलाक लेने के लिए सहमति बन गई.

बदले हालत के चलते पति पत्नी में तलाक की सहमति बनी

1990 में इंजीनियर ने पत्नी से तलाक होने के बाद शादी कर ली थी. दूसरी पत्नी से 2 बच्चे हुए, लेकिन पहली पत्नी की अपील पर कोर्ट ने तलाक को खारिज कर दिया, जिसके बाद मामला कोर्ट में चलता रहा. इसी बीच दूसरी पत्नी के दोनों बच्चे बड़े हो गए उनकी शादी भी हो गई थी. इधर पहली पत्नी के भाइयों ने समझाइश दी तब जाकर तलाक देने के लिए सहमति बन पाई है. कोर्ट ने इस मामले में दोनों के बीच सहमति के साथ पति को एक मुश्त 12 लाख रुपये पहली पत्नी को देने का आदेश दिया है. इस मामले में फरवरी 2024 में अंतिम सुनवाई होगी. पति द्वारा पत्नी को 12 लाख देने सहित सभी कार्रवाई पूरी करना होगी, जिसके बाद फरवरी में दोनों के तलाक पर मोहर लग जाएगी.

 

सम्बंधित खबर
ताजा खबर
ब्रेकिंग न्यूज़