11 जुलाई 2023, सुबह 06:36
अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग फ्रॉड के गंभीर आरोप लगाए थे. जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए स्पेशल कमेटी का गठन किया गया था
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी यानी सेबी ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने 41 पेज का हलफनामा दायर किया है. मार्केट रेगुलेटर ने टॉप कोर्ट से ‘उचित आदेश’ भी मांगा है और कोर्ट द्वारा नियुक्त एक्सपर्ट कमेटी द्वारा की गई सिफारिशों को रिकॉर्ड पर रखा है. सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को मामले की सुनवाई करेगा. इस साल की शुरुआत में, अमेरिका शॉर्ट सेलर ने डानी ग्रुप पर अपने शेयर की कीमतों में हेरफेर करने के लिए ऑफशोर कंपनियों का उपयोग करने का आरोप लगाया था. गौतम अडानी ने सभी आरोपों का जोरदार खंडन किया है, जबकि विपक्षी नेताओं ने हंगामा किया. जिसके बाद अडानी ग्रुप कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली.
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में इस मामले को देखने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एएम सप्रे की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय समिति ने बाद में अपनी रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें अपेक्स कोर्ट को सूचित किया गया कि उनके लिए यह निष्कर्ष निकालना संभव नहीं होगा कि उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर मूल्य हेरफेर के आरोप में नियामक विफलता हुई है.
कई मामलों में सहमत नहीं सेबी
अडानी ग्रुप के खिलाफ लगे आरोपों पर अपनी जांच की स्टेटस रिपोर्ट का जिक्र किए बिना सेबी ने कोर्ट में पेश किए हलफनामे में कहा कि एक्सपर्ट कमेटी से विदेशों से आए फंड के बेनिफिशरी की पहचान में परेशानी होने की बात से सहमत नहीं है. सेबी ने कहा कि उस पर किसी किसी भी तरह के कानून के उल्लंघन की जांच करने को लेकर रोक नहीं है. उसने कहा कि एक्सपर्ट कमेटी की बात से सहमत नहीं है. अगर कोई उल्लंघन हुआ है तो कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ मंगलवार को सुनवाई करेगी. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले सेबी को जांच के लिए दो महीने का समय दिया था. फिर इसे बढ़ाकर 14 अगस्त कर दिया गया है.
जांच की डेडलाइन सेबी का जवाब
सेबी ने अपने 43 पन्नों के हलफनामे में एक्सपर्ट कमेटी की उस सिफारिश का विरोध किया जिसमें कहा गया था कि रेगूलेटर को अपनी जांच समय पर पूरा करने को कहा गया है. सेबी ने कहा कि इस तरह की डेडलाइन से जांच की क्वालिटी के समझौता हो सकता है. साथ ही कई तरह की बाधाएं पैदा हो सकती हैं और लीगल विवाद भी खड़े हो सकते हैं. सेबी ने सुप्रीम के सामने रखे अपने हलफनामे में इंफोर्समेंट पॉलिसी, न्यायिक अनुशासन, स्ट्रांस सेटलमेंट पॉलिसी, डेडलाइन, निगरानी और बाजार प्रशासन उपायों समेत अन्य जैसे इश्यूज पर एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिशों पर अपने विचार रखे हैं.