श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को चीन ने एक करार के तहत 99 साल की लीज पर ले लिया है। श्रीलंका और चीन के करार के मुताबिक यहां पर व्यावसायिक गतिविधियों को ही सिर्फ ऑपरेट किया जाएगा। बता दें कि चीन हमेशा से सभी देशों का दुश्मन रहा है। चीन की सेना के नियंत्रण में रहने वाला जासूसी जहाज युआन वांग मंगलवार की सुबह श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंच गया। इस बंदरगाह पर पहुंचने के साथ ही चीनी जासूसी जहाज युआन वांग की जद में दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश तक के सभी बंदरगाह और परमाणु शोध केंद्र तक आ गए हैं।
रक्षा मामले और विदेशी मामलों के जानकारों का स्पष्ट मानना है कि श्रीलंका की लचर विदेश नीतियों के चलते भारत की सुरक्षा पर यह खतरा मंडराया है। श्रीलंका काफ़ी परेशान भी है क्योंकी यह चीनी सेना के नियंत्रण वाला जहाज एक सप्ताह तक श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर रहेगा। ऐसे में भारतीय सुरक्षा एजेंसियां भी न सिर्फ अलर्ट हैं बल्कि हंबनटोटा बंदरगाह की एक-एक कार्यप्रणाली पर बारीकी से नजर भी रखे हुए हैं।
लोगों का कहना है कि चीन अपना अड्डा भी बना सकता
हंबनटोटा बंदरगाह में निवेश के साथ ही पूरी दुनिया ने यह आशंका जतानी शुरू कर दी थी कि चीन श्रीलंका के इस बंदरगाह पर बड़ा सैन्य अड्डा भी बना सकता है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने इस बात को लेकर चिंता जाहिर की थी। अब जब चीन ने अपने जासूसी जहाज को हंबनटोटा भेज दिया है तो इस बात के पुख्ता प्रमाण मिलने लगे हैं कि चीन की मंशा श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह की ऑपरेशन को लेकर ठीक नहीं है।