घनश्याम लोधी रामपुर के लिए नया नाम नहीं हैं। वह काफी समय से राजनीति में सक्रिय हैं। उनकी राजनीति भी भाजपा से ही शुरू हुई थी। तब वह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेहद करीबी थे घनश्याम लोधी को कल्याण सिंह का मजबूत सिपाही माना जाता रहा है , कल्याण सिंह के समय वह पार्टी के जिलाध्यक्ष भी रहे। 1999 में वह भाजपा छोड़कर बसपा में शामिल हो गए और लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन जीत नहीं पाए। तब घनश्याम तीसरे नंबर पर रहे। 2022 के विधान सभा चुनावों के समय वह सपा में एम एल सी थे लेकिन उन्होने एम एल सी पद को ठोकर मार के भाजपा ज्वाइन की और आज देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद मे पहुंच गये हैं ।
राष्ट्रीय क्रांति पार्टी ने सपा के साथ गठबंधन करके घनश्याम को बरेली-रामपुर एमएलसी सीट से अपना प्रत्याशी बनाया। वह जीत भी गए।
बसपा का दामन थाम लिया
फ़िर वहीं 2009 लोकसभा चुनाव के दौरान घनश्याम लोधी ने बसपा का दामन थाम लिया। बसपा ने उन्हें रामपुर से उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह जीत नहीं पाए। रामपुर में घनश्याम लोधी ने सपा के पक्ष में खूब माहौल बनाया। 2012 में उन्होंने काफी मेहनत भी की।
आइए जानते है कि रामपुर लोकसभा सीट का इतिहास क्या कहता है।
साल विजेता (पार्टी) हारे(पार्टी)
2019 आजम खां (सपा) जया प्रदा (भाजपा)
2014 डॉक्टर नैपाल सिंह(भाजपा) नसीर अहमद खान (सपा)
2009 जया प्रदा (सपा) बेगम नूर बानो (कांग्रेस)
2004 जया प्रदा (सपा) बेगम नूर बानो (कांग्रेस)
1999 बेगम नूर बानो (कांग्रेस) मुख्तार अब्बास नकवी (भाजपा)
1998 मुख्तार अब्बास नकवी (भाजपा) बेगम नूर बानो (कांग्रेस)
1996 बेगम नूर बानो (कांग्रेस) राजेन्द्र शर्मा (भाजपा)
1991 राजेन्द्र शर्मा (भाजपा) जुल्फीकार अली खान (कांग्रेस)
1989 जुल्फीकार अली खान (कांग्रेस) राजेन्द्र शर्मा (भाजपा)
1984 जुल्फीकार अली खान (कांग्रेस) राजेन्द्र शर्मा (भाजपा)
घनश्याम को मिली जीत
रामपुर में मुस्लिम मतदाता सबसे ज्यादा हैं, लेकिन लोधी, सैनी और दलित मतदाताओं की संख्या भी काफी है। कहा जाता है कि घनश्याम लोधी इन जातियों पर अच्छी पकड़ रखते हैं। जिसका असर नतीजों में देखने को मिला।