एग्री सेक्टर के प्राइवेट प्लेयर्स ने इस साल पंजाब से सबसे ज्यादा गेहूं खरीदा है, जो एक रिकॉर्ड ब्रेकिंग है। वास्तव में इस मुख्य कारण है यूक्रेन-रूस वॉर, जो दुनिया के सबसे बड़े गेहूं एक्सपोर्टर हैं। जिसकी वजह से प्राइवेट कंपनियों को अब पंजाब की ओर रुख करना पड़ रहा है।
एक महीने से अधिक समय से चल रहे युद्ध में उलझे ये दोनों देश अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के सबसे बड़े निर्यातक हैं। आंकड़ों की मानें तो बीते दो हफ्तों में प्राइवेट कंपनियों ने एक लाख टन से ज्यादा गेंहूं खरीदा है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर गेंहूं खरीद के किस तरह के आंकड़ें देखने को मिल रहे हैं।
बता दें कि अप्रैल से शुरू होने वाले मौजूदा रबी या शीतकालीन फसल विपणन सीजन के दो सप्ताह के भीतर निजी खिलाड़ियों द्वारा गेहूं की खरीद लगभग 1 लाख टन तक पहुंच गई। यह बुधवार तक पंजाब में हुई कुल गेहूं खरीद का छह प्रतिशत है।
पंजाब में कुल 20.6 लाख टन गेहूं पहुंचा मंडियों 13 अप्रैल तक। पनग्रेन, पुन्सप, पंजाब स्टेट वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन, मार्कफेड और भारतीय खाद्य निगम जैसी सरकारी एजेंसियों ने 16.8 लाख टन की खरीद की है।
निजी खिलाड़ियों ने इसमें से 99,637 टन खरीदा। उन्होंने 2,050 रुपये प्रति क्विंटल की पेशकश की, जो 2,015 रुपये के एमएसपी से अधिक है।
पंजाब सरकार के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि कुल गेहूं खरीद ने भी 15 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। अधिकारी ने कहा, “13 अप्रैल को गेहूं की कुल खरीद 17 लाख टन तक पहुंच गई, जो पिछले 15 वर्षों में इस तिथि तक सबसे अधिक खरीद थी।” गेहूं की घरेलू और वैश्विक कीमतों में इजाफे से उत्तर प्रदेश का गेहूं खरीद प्लान प्रभावित हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में गेहूं की 1 अप्रैल से सरकारी खरीद शुरू होगी, जो 15 जून तक चलेगी। यह खरीद एमएसपी पर की जाएगी। यूपी सरकार की योजना आगामी रबी मार्केटिंग सीजन में 60 लाख टन गेहूं खरीदने की है। मौजूदा स्थितियों को देखकर लग रहा है कि गेहूं के एमएसपी में और इजाफा हो सकता है।
ऐसे में हो सकता है कि किसान उन ग्राहकों को बिक्री करें जो उन्हें अच्छा दाम दें। हरियाणा में भी गेहूं, चना व जौ की सरकारी खरीद 1 अप्रैल से शुरू होगी। किसान निर्धारित मंडियों में एमएसपी पर बिक्री कर सकेंगे।