रंजन अभिषेक,
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और ‘ हिंदुस्तान आवाम मोर्चा ‘ के नेता जीतन राम मांझी द्वारा एक सार्वजनिक मंच से ब्राह्मणों एवं पंडितों के लिए किए गए अभद्र भाषा के प्रयोग के बाद शुरू हुआ यह विवाद अब थमने का नाम ही नही ले रहा है।
ज्ञात हो कि भुइयां समाज को संबोधित करते हुए सूबे की राजधानी में मांझी ने दलितों द्वारा सत्यनारायण भगवान की पूजा करने व पंडितों द्वारा पूजा कराने एवं दलित के घर भोजन ना करने को लेकर विवादित बयान दिया था

हालांकि बढ़ते विवाद को देखते हुए उन्होंने अपना बयान वापस लेकर माफी भी मांग लिया, लेकिन यह विवाद शांत होने का नाम नही ले रहा है, आपको बता दें कि माँझी के इस बयान के जवाब में भाजपा बिहार प्रदेश कार्यकारिणी के नेता गजेंद्र झा ने कहा कि”जो ब्राह्मण का बेटा मांझी की जीभ काटकर लाएगा, उसे 11 लाख रुपया इनाम के तौर पर एवं उसके पूरे जीवन का खर्च मैं वहन करूँगा”जिसके बाद सियासत और गरमा गई और गजेंद्र झा को 15 दोनों में कारण बताओ नोटिस जारी कर पार्टी से निलंबित कर दिया गया, हलाकि अपने बयान के बचाव में मांझी ने पटना में अपने आवास पर ब्राह्मण भोजन भी करवाया।

अब फिर एकबार विवाद तब शुरू हुआ जब हमारे सांवाददाता रंजन अभिषेक ने भाजपा नेता कुन्दन प्रताप सिंह से इस प्रकरण पर जबाब माँगा तो उन्होंने कहा कि ” हमारा मांझी जी के साथ कोई गठबंधन नही है, हमारा गठबंधन जदयू के साथ है और मुख्यमंत्री जी को इस पर संज्ञान लेना चाहिए, साथ ही उन्होंने इस पूरे प्रकरण पर कुत्ते और चीता की एक कहानी सुनाई” ।
वंही जब हमारे संवाददाता ने भाजपा से बिहारविधानपरिषद के सदस्य घनश्याम ठाकुर से बात किया तो उन्होनें कहा कि ” मांझी जी का बयान निंदनीय है, जब आप राजनीति में होते हैं, और सार्वजनिक जीवन में बड़े पदों पर होते हैं तो अपनी भाषा को संयमित एवं मर्यादित रखनी चाहिए, ऐसा कुछ भी ना बोलें की समाज में विद्वेष फैले”
वंही इस पूरे प्रकरण पर भाजपा मधुबनी के संस्कृति प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष सतीश झा ने हमसे बात करते हुए कहा कि “सवर्ण कभी किसी के पीछे घूमने वाला नही है,वह सदैव समाज का नेतृत्व करता है, मांझी जी का यह बयान अतिनिन्दनीय है “।।