विधानसभा चुनाव में कभी जनपद में कांग्रेस का बजता था डंका।

उन्नाव:- उन्नाव जनपद की राजनीति में कांग्रेस का डंका बजता था लेकिन अब अपने वजूद की जंग लड़ रही है। पुराने आकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो जनपद की सभी सात (वर्तमान में छह) विधानसभा सीटों में उन्नाव की जनता ने कांग्रेस को जिताया।

आजादी के बाद 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में जनपद की सात विधानसभा सीटों (वर्तमान में छह) में उन्नाव की जनता ने कांग्रेस का साथ दिया था। उन्नाव की सदर विधानसभा से लीलाधर अस्थाना, भगवंतनगर विधानसभा से देवीदत्त मिश्रा, पुरवा विधानसभा से रामाधीन सिंह, बांगरमऊ विधानसभा से हबीबुर्रहमान अंसारी, हसनगंज विधानसभा से सेवाराम भारती ने चुनाव जीता।

1962 के विधनसभा चुनाव में कांग्रेस ने सात में से पांच पर और हसनगंज से कांग्रेस- कम्युनिस्ट पार्टी के साझा उम्मीदवार भीखालाल ने जीत हासिल की थी। 1967 में कांग्रेस को थोड़ा नुकसान झेलना पड़ा लेकिन फिर भी उन्नाव से रामाधीन सिंह और भगवंतनगर से भगवती सिंह विशारद के ने जीत हासिल की थी। 1969 के चुनाव में बांगरमऊ विधनसभा से कांग्रेस के गोपीनाथ दीक्षित, भगवंतनगर विधानसभा से भगवती सिंह, पुरवा विधानसभा से दुलारे लाल और तब की मियागंज सीट से बद्री प्रसाद कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते थे लेकिन 1974 में सात में से केवल तीन सीटें कांग्रेस के हिस्से में आई थी।

1980 में कांग्रेस पार्टी ने सात में से पाँच सीटें अकेले अपने दम पर जीती। जिसमें बांगरमऊ विधानसभा से गोपीनाथ दीक्षित, सफीपुर विधानसभा से हरिप्रसाद कुरील, हड़हा विधानसभा से सच्चिदानंद बाजपेयी, भगवंतनगर विधानसभा से भगवती सिंह विशारद और पुरवा विधानसभा में गया सिंह ने जीत हासिल की थी और हसनगंज विधानसभा से कांग्रेस व कम्युनिस्ट पार्टी के साझा उम्मीदवार भीखालाल ने चुनाव जीता। 1985 में सात में से चार सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की।

1996 में कांग्रेस पार्टी ने सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल की। 2002 के विधानसभा चुनाव में जनपद में कांग्रेस सभी छह सीटों पर चुनाव हार गई। 2007 में भी यही हाल रहा। 2012 में समाजवादी पार्टी ने छह में से पाँच सीटों पर जीत हासिल की जिसमें मोहान विधानसभा की एक सीट बसपा के खाते में चली गई क्योकिं मोहान विधनसभा क्षेत्र के कुछ लोगों का कहना है कि मोहान विधानसभा में टिकट का चयन सही से नहीं हुआ था अगर सविता पासी पत्नी चंद्रपाल पासी को टिकट मिलता तो समाजवादी पार्टी की छह की छह विधानसभा सीट पर जीत हासिल करती।

2017 में भाजपा ने छह में से पाँच सीटों पर जीत हासिल की जिसमें पुरवा विधानसभा की एक सीट बसपा के खाते में चली गई। 2017 में बांगरमऊ विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते कुलदीप सिंह सेंगर को दुष्कर्म के आरोप में उम्र कैद की सजा होने के बाद नवंबर 2019 में बांगरमऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें भाजपा ने श्रीकांत कटियार को टिकट दिया और वह चुनाव जीत गए तो वही कांग्रेस की आरती बाजपेयी दूसरे नम्बर पर रही।

आज कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव की पहली सूची जारी की है जिसमें एक बार पुनः आरती बाजपेयी को बांगरमऊ विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया है तो वही कुलदीप सिंह सेंगर केस में दुष्कर्म पीड़िता की मां आशा सिंह को सदर विधानसभा से प्रत्याशी घोषित किया है और मोहान विधानसभा से मधु रावत को प्रत्याशी घोषित किया गया है बाकी बची हुई विधानसभा सीटों में प्रत्याशियों के नाम कांग्रेस पार्टी अगली सूची में जारी करेगी। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अन्य पार्टियों में लगभग सभी प्रत्याशियों के नाम फाइनल हो चुके है और सूची जल्द ही जारी होगी।

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कुलदीप वर्मा, उन्नाव।

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