रूस व यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का खामियाजा पूरे विश्व पर पड़ रहा है। वहीं अब युद्ध का असर जनता की जेब पर भी पड़ने लगा है। सबसे ज्यादा असर तेल की कीमतों में देखने को मिला है।
पहले कोरोना और अब रूस-यूक्रेन में लड़ाई के चलते खाद्य तेलों की कीमतों में इजाफा हुआ है। हालांकि सरसों के तेल के दाम पर अभी इसका असर नहीं पड़ा है, लेकिन जानकार मानते हैं कि आने वाले समय में सरसों के तेल के दामों पर भी इसका असर पड़ने की संभावना है।
दरअसल, देशभर के बाजारों में खाद्य तेलों के दामों में भारी उछाल देखा जा रहा है। खासतौर पर रिफाइंड और सूरजमुखी तेल के दामों में बीते 15 दिन के भीतर ही करीब 30 फीसदी तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। दरअसल यूक्रेन से आने वाले सूरजमुखी के तेल का आयात बंद हो गया है, जिससे तेल व रिफाइंड की कीमतों में बढ़ोतरी हो गई है।
रूस और यूक्रेन युद्ध का असर अब देश के बाजारों में दिखने लगा है। आर्थिक क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि युद्ध का अभी शुरुआती असर खाद्य तेलों में दिख रहा है, लेकिन आने वाले समय में डीजल व पेट्रोल महंगा होगा और उससे दूसरी खाद्य सामग्री का महंगा होना तय है।
जानकारों की मानें तो भारत में हर साल 25 लाख मीट्रिक टन सूरजमुखी के तेल का आयात होता है, जिसमें 70 प्रतिशत यूक्रेन से, 20 प्रतिशत रूस से व 10 प्रतिशत अर्जेंटीना से आता है। ऐसे में जब से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ है, सूरजमुखी के तेल का आयात बंद हो गया है।