किसानों के हठ के आगे आखिरकार मोदी सरकार को झुकना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में चुनावों से कुछ महीने पहले एक आश्चर्यजनक घोषणा करते हुए कहा कि एक साल से अधिक समय से देश भर में बड़े पैमाने पर किसान विरोध के केंद्र में तीन विवादास्पद कृषि कानून वापस ले लिए जाएंगे।
यह कदम गुरु पूरब के त्योहार पर आता है, जब सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्मदिन मुख्य रूप से पंजाब में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार ये कानून किसानों के हित में नेक नीयत से लाई थी, लेकिन हम कुछ किसानों को समझाने में नाकाम रहे। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार की 10 हजार एफपीओ किसान उद्पादक संगठन बनाने की प्लानिंग है।
हमने एमएसपी और क्रॉप लोन बढ़ा दिया है। यानी हमारी सरकार किसानों, खासतौर पर छोटे किसानों के हित में लगातार एक के बाद एक कदम उठाती जा रही है। इसी अभियान में तीन कृषि कानून लाए गए थे, ताकि किसानों को फायदा हो। पीएम मोदी ने आगे कहा कि साथियों, मैं देशवासियों से क्षमा मांगते हुए, सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रह गई होगी जिसके कारण मैं कुछ किसानों को समझा नहीं पाया।
मैं आंदोलनकारी किसानों से घर लौटने का आग्रह करता हूं और तीनों कानून वापस लेता हूं। इस महीने के अंत में संसद सत्र शुरू होने जा रहा है उसमें कानूनों को वापस लिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने किसानों को समझने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिन प्रावधानों पर उन्हें ऐतराज था उन्हें बदलने को भी तैयार थे।
साथियों आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है। यह समय किसी को दोष देने का नहीं है। गुरु नानक देव जी ने कहा है कि संसार में सेवा का मार्ग अपनाने से ही जीवन सफल होता है। हमारी सरकार इसी सेवा भावना के साथ देशवासियों का जीवन आसान बनाने में जुटी है। राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि पांच दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की मुश्किलों, चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है।
पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को पवित्र बताया और इस बात का अफसोस जताया कि वह और उनकी सरकार कुछ किसानों को समझाने में सफल नहीं हो पाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए छोटे किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए अपनी सरकार द्वारा उठाए कदमों को रेखांकित किया।
पीएम मोदी ने कहा कि कृषि बजट में पांच गुना बढ़ोतरी की गई है, हर साल 1.25 लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च की जा रही है। उन्होंने कहा कि इन तीनों कृषि कानूनों का लक्ष्य किसानों विशेषकर छोटे किसानों का सशक्तीकरण था। बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर अब भी किसान आंदोलन जारी है।