यह नीति 34 वर्ष की प्रतीक्षा के बाद आई, जो 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं कि एनईपी, 2020 एक ऐसा दस्तावेज है, जिसका देश के शैक्षणिक परिदृश्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। इससे आंतरिक बदलाव होगा और संसाधनों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत के भविष्य को नई दिशा मिलेगी और विश्व में उसकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। आप मूल रूप से यह कह सकते हैं कि यह करोड़ों युवाओं की आशाओं और आकांक्षाओं को साकार करने का एक साधन है। इस बार नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए केन्द्र ने साल 2030 तक का लक्ष्य रखा गया है।
एनईपी की पहली विशेषता यह है कि इसके माध्यम से समावेशी शिक्षा पर विशेष जोर देकर हम प्री स्कूल से लेकर व्यस्क बचे के लिए भी अधिक सक्षम वातावण सुनिश्चित करते हैं। एनईपी में सिखने को रोचक बना कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जोड़ा गया है और नई 5 +3 +3 +4 स्कूली शिक्षा प्रणालि के जरिये बच्चे को औपचारिक स्कूलों के लिए तैयार किया जाता है. 5+3+3+4 के बारे में बता दें कि नई शिक्षा नीति में पहले जो 10+2 की पंरपरा थी, अब वो खत्म हो जाएगी। अब उसकी जगह सरकार 5+3+3+4 की बात कर रही है।
5+3+3+4 में 5 का मतलब है, तीन साल प्री-स्कूल के और क्लास 1 और 2 उसके बाद के 3 का मतलब है क्लास 3, 4 और 5 उसके बाद के 3 का मतलब है क्लास 6, 7 और 8 और आख़िर के 4 का मतलब है क्लास 9, 10, 11 और 12. मूल रूप से कहें तो अब बच्चे 6 साल की जगह 3 साल की उम्र में फ़ॉर्मल स्कूल में जाने लगेंगे। अब तक बच्चे 6 साल में पहली क्लास मे जाते थे, तो नई शिक्षा नीति लागू होने पर भी 6 साल में बच्चा पहली क्लास में ही होगा, लेकिन पहले के 3 साल भी फ़ॉर्मल एजुकेशन वाले ही होंगे. प्ले-स्कूल के शुरुआती साल भी अब स्कूली शिक्षा में जुड़ेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि एनईपी 2020 विद्यार्थियों की उच्चतम क्षमता और कौशल को बढ़ाएगी। यह नीति विश्व स्तर की शिक्षा प्रणालियों के इतिहास में सबसे अधिक परामर्श प्रक्रियाओं के बाद लाई गई है और भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के शीर्ष पर पहुंचाने में हमारे नेतृत्व के संकल्प और दृष्टिकोण को दर्शाती है। जैसा कि हम अमृत महोत्सव या भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष मना रहे हैं, वैसे ही यह नई नीति आज के 5 से 15 वर्ष तक की आयु के उन बच्चों को तैयार करेगी, जो भारत की स्वतंत्रता के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर 30 से 40 वर्ष आयु के होंगे।
एनईपी मूक-बधिर छात्रों के लिए स्कूली शिक्षा में एक और महत्वपूर्ण बात है भाषा के स्तर पर नई शिक्षा नीति में 3 लैंग्वेज फ़ॉर्मूले की बात की गई है, जिसमें कक्षा पाँच तक मातृ भाषा/ लोकल भाषा में पढ़ाई की बात की गई है।
साथ ही ये भी कहा गया है कि जहाँ संभव हो, वहाँ कक्षा 8 तक इसी प्रक्रिया को अपनाया जाए। संस्कृत भाषा के साथ तमिल, तेलुगू और कन्नड़ जैसी भारतीय भाषाओं में पढ़ाई पर भी ज़ोर दिया गया है।