बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। अधिकारियों ने शनिवार को बताया था कि यह मुकदमा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई वाले बैंकों के एक संघ से कथित रूप से 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के संबंध में दर्ज किया गया।
अब इसे लेकर खुद एसबीआई का भी बयान आया है। बैंक ने इस पूरे धोखाधड़ी मामले का घटनाक्रम सामने रखा है। बता दें कि सीबीआई की जांच के घेरे में आया यह सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड केस है. जांच एजेंसी ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए एबीजी शिपयार्ड कंपनी, उसके पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल पर केस दर्ज किया है।
आरोप में कहा गया है कि शिपयार्ड कंपनी ने बैंकों के कंसोर्टियम (आसान भाषा में बैंकों का समूह कह सकते हैं) के साथ धोखा किया और करोड़ों रुपये गबन कर लिए गए। पहले यह खबर आई कि बैंकों का कंसोर्टियम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की अगुआई में बनाई गई और कंपनी को लोन दिए गए।
हालांकि रविवार को समाचार एजेंसी ANI ने SBI के हवाले से एक ट्वीट में लिखा, “आईसीआईसीआई बैंक के नेतृत्व में 2 दर्जन से अधिक उधारदाताओं ने पैसे दिए थे। कंपनी के खराब प्रदर्शन के कारण नवंबर 2013 में खाता गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में तब्दील हो गया था। कंपनी के संचालन को ठीक करने के लिए कई प्रयास किए गए लेकिन सब विफल रहे।
On alleged fraud of Rs 22,842 crores by ABG Shipyard, SBI says, "Financed under consortium arrangement over 2 dozen lenders led by ICICI Bank. Due to poor performance, account became NPA in Nov 2013. Several efforts were made to revive company operations but couldn't succeed." https://t.co/A8vGvEeVBk
— ANI (@ANI) February 13, 2022
सीबीआई ने सबसे बड़े बैंक फ्रॉड मामले में, ABG Shipyard Ltd और उसके तत्कालीन चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर ऋषि कमलेश अग्रवालम को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के एक संघ के साथ 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने के लिए मामला दर्ज किया।
स्टेट बैंक ने कहा है कि शिपयार्ड कंपनी को पुन: खड़ा करने की कई कोशिशें की गईं। सीडीआर मेकेनिज्म के तहत मार्च 2014 में उसे री-स्ट्रक्चर किया गया। कंसोर्टियम के सभी बैंकों ने इसमें भाग लिया. लेकिन चूंकि शिपिंग इंडस्ट्री लगातार गिरावट में है, इसलिए कंपनी को जीवित नहीं किया जा सका।
एसबीईआई के मुताबिक, शिपयार्ड कंपनी ने अपने सबसे बुरे दिन दिखे और उसके ऑपरेशन को दोबारा जिंदा नहीं किया जा सका। कंपनी की री-स्ट्रक्चरिंग फेल होने के बाद इसका खाता जुलाई 2016 में एनपीए में चला गया। इस केस में फ्रॉड का जो भी मामला है वह फंड के डायवर्जन को लेकर है। बैंकों का भरोसा तोड़ने का है।
सीबीआई अधिकारियों ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। अग्रवाल के अलावा सीबीआई ने तत्कालीन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर संथानम मुथास्वामी, डायरेक्टर्स अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया और एक दूसरी कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भी विभिन्न अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।