पीसा मीनार केवल 4° झुकी हुई है लेकिन वाराणसी के इस मंदिर को रत्नेश्वर मंदिर कहा जाता है। यह 9° झुक जाता है।

धर्मनगरी वाराणसी के 84 घाटों पर वैसे तो हजारों मंदिर (Temple) हैं, जिनकी खूबसूरती दुनिया में अपनी पहचान बनाती हैं। इन्हीं में से कुछ ऐसे मंदिर हैं जो विश्व प्रसिद्ध है। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित मणिकर्णिका घाट के रत्नेश्वर मंदिर के बारे में, इस मंदिर की वास्तुकला बेहद अलौकिक है।

सैकड़ों सालों से यह मंदिर एक ओर झुका हुआ है। ऐतिहासिक महत्‍ता और इसके झुके होने की वजह से भी इसे पीसा मीनार से भी बेहतर माना जाता है। वहीं पुरातत्‍ववेत्‍ता भी इसे नैसर्गिक रूप से पीसा के मीनार से बेहतर बताते रहे हैं।

यह मंदिर स्थित है वाराणसी के मणिकर्णिका घाट के ठीक बगल में और इस मंदिर में भगवान शिव विराजमान हैं। इन्हें रत्नेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। 84 घाटों पर यह मंदिर बाकी सभी मंदिरों से पूरी तरह से अलग है। इसकी खासियत यह है कि लगभग 400 सालों से 9 डिग्री के एंगल पर झुका हुआ यह मंदिर आज तक ज्यों का त्यों खड़ा है, जबकि यह मंदिर गंगा नदी के तलहटी पर बना हुआ है।

गंगा घाट पर जहां सारे मंदिर घाट के ऊपर बने हैं वहीं यह अकेला ऐसा मंदिर है जो घाट के नीचे बना है। इस वजह से यह छह से आठ महीनों तक पानी में डूबा रहता है। गुजरात शैली में बना यह मंदिर करीब 40 फीट ऊंचा है।

Ratneshwar Mahadev Temple poster of Incredible India is compared to leaning  tower of Pisa

बाढ़ में गंगा का पानी मंदिर के शिखर तक पहुंच जाता है। पानी उतरने के बाद मंदिर का पूरा गर्भगृह बालू और सिल्ट से भरा जाता है। इस वजह से बाकी मंदिरों की तरह यहां पूजा नहीं होती।

स्थानीय पुजारी बताते हैं दो-तीन महीने में कुछ ही दिन साफ सफाई के बाद यहां पूजा होती है। स्थानीय तीर्थ पुरोहित श्याम सुंदर तिवारी बताते हैं, महारानी अहिल्याबाई होलकर ने काशी में कई मंदिरों और कुंडों का निर्माण कराया।

उनके शासन काल में उनकी रत्ना बाई नाम की एक दासी ने मणिकर्णिका कुंड के सामने शिव मंदिर निर्माण की इच्छा जताई और यह मंदिर बनवाया। उसी के नाम पर इसे रत्नेश्वर महादेव मंदिर कहा जाता है। जनश्रुति है कि मंदिर बनने के कुछ समय बाद ही टेढ़ा हो गया। मंदिर के साथ पूरा घाट ही झुक गया था।

राज्यपाल मोतीलाल वोरा की पहल पर घाट फिर से बनवाया गया, लेकिन मंदिर सीधा नहीं किया जा सका। पीसा की मीनार से यह ज्यादा झुकी हुई है, बावजूद इसके यह विश्व धरोहर की सूची में शामिल नहीं है।

वाराणसी के पुरातत्व विभाग के पुरातत्वविद सुभाष चन्द्र यादव कहते हैं, मंदिर का ढांचा काफी भारी भरकम है। यह मंदिर नीचे की ओर बना है, महीनों पानी में डूब जाता है। इसीलिए यह एक तरफ झुक गया। वे कहते हैं किसी चीज को विश्व धरोहर घोषित करने के कई मापदंड होते हैं।

अतुल्य भारत

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