पहले 25 दिसंबर नहीं, 6 जनवरी को मनाते थे क्रिसमस, क्या आप जानते हैं? क्रिसमस पर चटक लाल रंग की पोशाक क्यों पहनते हैं यह किसकी दें है।

क्या आप जानते हैं? क्रिसमस पर चटक लाल रंग की पोशाक पहले जिस सेंटा क्लॉज का बच्चे बेसब्री से इंतजार करते हैं, उनका यह रूप एक कोला कंपनी के प्रचार की देन है।

सफेद दाढ़ी, नाक पर चश्मा चढ़ाए, लाल-सफेद रंग के फर वाले गाउन, सिर पर लाल रंग की टोपी, कमर में चौड़ी काली बेल्ट, पैरों में बूट्स पहने और कंधे पर गिफ्ट्स से भरा बड़ा बैग लटकाए हुए जिस सेंटा को आज आप देखते हैं वो असल में एक एडवर्टाइजमेंट की देन है। जिसे असली सेंटा माना जाता है वे तो बेहद सादगी भरे अंदाज में रहते थे।

यहां तक कि वे जिन बच्चों और जरूरतमंदों की मदद करना चाहते थे, उन्हें रात में चुपचाप गिफ्ट देकर चले जाते थे। यही नहीं शुरुआत की कई सदियों तक 6 जनवरी को ईसा मसीह का जन्मदिन मनाया जाता था।

अब क्रिसमस चाहे 25 दिसंबर हो या 6 जनवरी को, सच तो यह है कि बाइबल में ईसा मसीह के जन्म की किसी तारीख का जिक्र नहीं। बता दें कि 1836 में पहली बार अमेरिका में क्रिसमस को कानूनी मान्यता मिली और 25 दिसंबर को पब्लिक हॉलीडे डिक्लेयर किया।

दुनिया के कई देशों में जैसे रूस, यूक्रेन मिस्र जैसे देशों में आज भी क्रिसमस 25 दिसंबर को न मनाकर 6 जनवरी को ईसा मसीह के जन्म दिवस मनाया जाता है। वहीं रशियन आर्थोडोक्स चर्च को मानने वाले 7 जनवरी को क्रिसमस मानते हैं।

दरअसल, शुरुआत में ईसा मसीह के जन्म दिवस को लेकर ईसाई समुदाय में मतभेद था। 360 ईस्वी के आस-पास रोम के एक चर्च में ईसा मसीह के जन्मदिन का पहली बार समारोह मनाया गया। लंबी बहस और विचार विमर्श के बाद चौथी शताब्दी में 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्मदिवस घोषित कर दिया गया। इसके बावजूद इसे प्रचलन में आने में समय लगा।

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