गुरुवार को दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नरेला इलाके में देश के पहले इलेक्ट्रोनिक-वेस्ट इको-पार्क का निर्माण दिल्ली सरकार करेगी। इस इलेक्ट्रोनिक-वेस्ट इको-पार्क में प्लास्टिक रिसाइक्लिंग, बेकार सामानों से कीमती घातुओं का निष्कासन जैसे काम किए जाएंगे।
नरेला इंडस्ट्रियल इलाके में बनने वाला यह ई-वेस्ट पार्क 20 एकड़ के क्षेत्र में फैला रहेगा। आपको बता दें कि e-waste पूरी दुनिया के लिए बढ़ती हुई एक बड़ी परेशानी है। भारत ई-कचरे का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। ई-कचरा 3 से 5 फीसदी की दर के साथ सबसे तेजी से बढ़ते कचरे में से एक है।
ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर रिपोर्ट 2020 के मुताबिक दुनिया भर में 2019 में 53.7 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) कचरा पैदा हुआ था, जो 2030 तक 74.7 एमएमटी तक पहुंचने की संभावना है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रोजेक्ट के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति का प्रपोजल गुरुवार को पास किया गया।
गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में दिल्ली कैबिनेट ने दिल्ली में देश के पहले ई-वेस्ट मैनेजमेंट इको पार्क बनाने को मंजूरी दी है। ई-वेस्ट मैनेजमेंट पार्क साइंटिफिक तरीके से पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए काम करेगा।
उपमुख्यमंत्री ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि इको पार्क में इनफॉर्मल सेक्टर के ऑपरेटरों को फॉर्मल री-साइकिलिंग के लिए भी ट्रेनिंग दी जाएगी। यहां साइंटिफिक और इंटीग्रेटेड तरीके से एक परिसर के अंदर ही ई-वेस्ट के निपटारे और रिसाइकल करने का काम किया जाएगा।
साथ ही, ई-वेस्ट को चैनलाइज करने के लिए 12 जोन में कलेक्शन सेंटर भी स्थापित किए जाएंगे। अपने इंटीग्रेटेड सिस्टम के साथ ई-वेस्ट इको-पार्क एक ही कैंपस में प्लास्टिक वेस्ट को प्रोसेस करने के साथ-साथ ई-वेस्ट को रिफर्बिश, डिसमेंटल, रिसाइकल व री-मैनुफैक्चर का भी काम करेगा।
जो कमाल की बात है। ई-वेस्ट ईको-पार्क में हर तरह की प्रोसेसिंग और री-साइकल यूनिट लगाई जाएंगी जिससे फ्यूचर में इनसे उत्पादन के लिए सामग्री निकाली जा सके। इस फैसिलिटी का इस्तेमाल हाई टेक्निक के माध्यम से डिसमेंटलिंग, सेग्रिगेशन, रिफर्बिशिंग प्लास्टिक रीसाइकलिंग और बहुमूल्य धातुओं का एक्सट्रैक्शन किया जाएगा।