बीते एक सप्ताह से पड़ रही भीषण सर्दी से हर वर्ग बेहाल है। कोहरा और कड़ाके की ठंड से सुबह 11 बजे तक सड़कों पर रफ्तार थम सी गई है। सुबह 11 बजे से बाद धूप निकली लेकिन सर्दी से कोई राहत नहीं मिली। पूरे दिन कड़ाके की सर्दी सताती रही। कोहरे व गलन भरी सर्दी से हर वर्ग के लोग परेशान हैं। सबसे अधिक मुश्किल रोज खाने-कमाने वालों को हो रही है।
मेहनत मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए कड़कों की ठंड में भी काम करना पड़ रहा है। मौसम विभाग के अनुसार इस पूरे सप्ताह सर्दी से राहत के आसार नहीं है। शनिवार तक दिन का तापमान 20 डिग्री से नीचे रहने के आसार हैं।
इस दौरान सर्द हवा, कोहरा और बादलों के चलते गलन का अहसास बना रहेगा। फिलहाल कम से कम तीन दिन कड़ाके की ठंड बनी रहेगी। मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर-पश्चिमी भारत के एक बड़े हिस्से में बनी कोहरे की मोटी चादर के चलते दिल्ली-एनसीआर के लोग बीते तीन दिनों से कड़ाके की सर्दियों का सामना कर रहे हैं।
रविवार को सफदरजंग मौसम केंद्र में दिन का अधिकतम तापमान 17.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से तीन डिग्री कम है। शनिवार से इसकी तुलना करें तो लगभग ढाई डिग्री सेल्सियस का इजाफा हुआ है। शनिवार को अधिकतम तापमान 14.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
सफदरजंग केंद्र में न्यूनतम तापमान भी 8.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। दिल्ली का नरेला क्षेत्र रविवार को सबसे ज्यादा ठंडा रहा। यहां का अधिकतम तापमान 12.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से सात डिग्री कम है।
वहीं, जाफरपुर का अधिकतम तापमान 13.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह भी सामान्य के मुकाबले करीब सात डिग्री कम है। मौसम विभाग ने सोमवार को भी दिल्ली के कुछ हिस्सों में शीत दिवस की स्थिति रहने का अनुमान जताया है। इसके लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है।
अधिकतम तापमान 17 से 18 डिग्री के आसपास रहेगा। शनिवार यानी 22 जनवरी को अधिकतम तापमान 16 डिग्री रहने का अनुमान है। शीतलहर चलने से गर्म और ऊनी कपड़ों में लिपटने के बाद भी लोगों की कंपकंपी छूटती रही। कड़ाके की ठंड में हाथ-पैर सुन्न रहे।
घरों, दुकानों, प्रतिष्ठानों, में हीटर, वार्मर, गैस बर्नर, अंगीठी, लकड़ी, कोयला, उपले जलाकर ठंड से बचाव का प्रयास करते रहे। गली मुहल्लों में लोगों ने अलाव का सहारा लिया।
किसानों ने खेत में कार्य शुरू करने से पहले पत्ती जलाकर शरीर को गर्म किया, इसके बाद कार्य शुरू किया। ठंड के चलते लोगों ने मोर्निंग वाक बंद कर दिया। ठंड में खांसी, नजला, जुकाम, बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा।