देश भर में गणेश चतुर्थी, नवरात्रि और अन्य त्योहारों से लेकर धनतेरस और दिवाली तक की अवधि का मतलब आमतौर पर भारत के ऑटो उद्योग (auto industry) के लिए तेज कारोबार होता है। हालांकि, यह वर्ष यादगार नहीं रहा क्योंकि कई कारकों ने इंडस्ट्री, विशेष रूप से पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट को एक बड़ा झटका दिया है।
वाहनों की बिक्री के लिहाज से ऑटो कंपनियों के लिए यह दिवाली 10 साल में सबसे खराब रही। खासकर उत्तर भारत में वाहनों की मांग सबसे कमजोर रही, जहां अमूमन लोग नई कार खरीदने के लिए दिवाली का इंतजार करते हैं। उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नवरात्र से दिवाली तक का समय वाहनों की बिक्री के लिए सबसे अच्छा समय होता है।
लेकिन 30 दिन की इस अवधि में वाहनों के पंजीकरण में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले दहाई अंकों में गिरावट आई। आपूर्ति की कमी के कारण यात्री वाहन सेगमेंट को नुकसान हुआ है। दोपहिया वाहनों की मांग में भी अप्रत्याशित कमी देखने को मिली। सूत्रों के मुताबिक, इस बार त्योहारी सीजन में यात्री वाहनों की खुदरा बिक्री एक तिहाई घटी है।
इस दौरान करीब 3,05,000 यात्री वाहन डीलरों को भेजे गए, जबकि 2020 की समान अवधि में यह आंकड़ा 4,55,000 इकाई था। वहीं, सरकार के वाहन पोर्टल के मुताबिक, इस त्योहारी सीजन में कुल 2,38,776 वाहन बिके, जो 2020 की समान अवधि में बिके 3,05,916 वाहनों के मुकाबले 22 फीसदी कम है।
वाहन पोर्टल देश के 85 फीसदी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के आंकड़े जुटाता है। इस साल धनतेरस पर देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी की बिक्री घटकर 13,000 इकाई रह गई। हालांकि, इस दौरान टाटा मोटर्स की बिक्री में 94 प्रतिशत का जोरदार उछाल आया। वाहन डीलरों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) ने मंगलवार को कहा था कि मौजूदा त्योहारी सीजन वाहन कंपनियों के लिए पिछले एक दशक में सबसे खराब रहा है।
चिप की कमी से यात्री वाहनों की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है। इससे एसयूवी, कॉम्पैक्ट एसयूवी और लग्जरी खंड में वाहनों की कमी हो गई है। कहा जा रहा है कि यह कमी लंबे समय तक जारी रहने वाली है। चिप की आपूर्ति की बाधाओं के कारण दिवाली पर गाड़ियों की बिक्री कम होने का अनुमान है। इससे डीलरों को भारी नुकसान होने का अंदेशा है।