29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव मस्जिद के पास हुए ब्लास्ट मामले में फिर एकबार गवाह ने खोली एटीएस की पोल, दरसल विशेष एनआईए अदालत में मंगलवार को अपने बयान में कहा कि” मुझे योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए मजबूर किया गया था, एटीएस द्वारा मुझे अवैध रूप से हिरासत में लेकर शाररिक एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया,मुझे पीटा गया।” इतना ही नही उसने कहा कि ” योगी आदित्यनाथ ,इंद्रेश कुमार सहित संघ के चार अन्य नेताओं के नाम लेने के लिए मुझपर दबाब बनाया गया, और ऐसा नहीं करने पर अंजाम भुगतने का धमकी भी दिया गया”।
आपको बता दें कि परमवीर सिंह उस समय महाराष्ट्र एटीएस के अतिरिक्त आयुक्त थे, और मामले की जाँच कर रहे थे।
इस मामले में यह कोई पहली बार नही हुआ कि एटीएस पर किसी गवाह ने अपने ऊपर दवाब बनाने और योगी आदित्यनाथ व अन्य भाजपा एवं संघ के लोगों का जबरन नाम लेने का आरोप लगाया है, ज्ञात हो कि अबतक कुल 220 गवाहों में से 15 गवाहों ने अपने बयान बदल लिए हैं।
इस मामले में भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भी आरोपी है, जो जमानत पर हैं, 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक निजी चैनल को इंटरव्यू देते हुए साध्वी ने भी इस मामले में एटीएस के कार्यसंस्कृति पर सवाल खड़ा किया था, और उन्होंने कहा था कि”उन्हें दिन दिनभर पीटा गया था इस बात का भी ध्यान नहीं रखा गया कि वो एक महिला हैं ” इतना ही उन्होंने कहा कि यह “हिन्दू और हिंदुत्व को बदनाम करने की साजिश है, लेकिन दुनिया जानती है कि हिन्दू सहिष्णु व प्रगतिशील विचार एवं आध्यात्मिक परंपरा का धर्म है।”
उक्त मामले में सांसद प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित,सेवानिवृत्त मेजर रमेश उपाध्याय,अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी,सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी भी आरोपी हैं, सभी जमानत पर हैं।