राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा नियुक्ति पत्रों पर हस्ताक्षर करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में तीन महिलाओं समेत नौ नए न्यायाधीशों की गुरुवार को नियुक्ति हुई। भारत को जल्द ही पहली सीजेआई यानी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया मिलने जा रही है? इसकी उम्मीद इसलिए जगी है क्योंकि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा भेज गए सभी नौ नामों को मंजूरी दे दी है। स्वीकृत नामों में तीन महिला जज भी हैं।
कहा जा रहा है कि इनमें शामिल जस्टिस नागरत्ना 2027 में देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश हो सकती हैं। वैसे जानकारी के लिए बता दें कि जस्टिस बीवी नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके ईएस वेंकटरमैया की बेटी हैं। वेंकटरमैया 19 जून 1989 से 17 दिसंबर 1989 तक देश के प्रधान न्यायाधीश रहे थे। उनके पिता ने खुद 6 महीने तक उस पद को संभाला था। अब अगर बीवी नागरत्ना को ये जिम्मेदारी दी जाती है तो ये भारत के लिए ऐतिहासिक पल होगा।
नागरत्ना अभी कर्नाटक हाईकोर्ट की जज हैं। फिर 17 फरवरी 2010 को जस्टिस नागरत्ना स्थायी तौर पर हाईकोर्ट की जज नियुक्त की गई थीं। साल 2020 में एक डिवोर्स मामले में भी महिला सशक्तिकरण पर जस्टिस बीवी नागरत्ना ने जो टिप्पणी की थी, वो खूब सुर्खियों में रही। उन्होंने कहा था कि लोग हमेशा महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं, लेकिन समाज को नहीं पता कि सशक्त महिलाओं संग कैसा व्यवहार करना चाहिए। माता-पिता भी अपने बेटों को नहीं सिखाते कि एक सशक्त महिला के साथ कैसा बर्ताव रखना चाहिए। लड़कों के साथ यही सबसे बड़ी समस्या है।
भारत में महिला मुख्य न्यायाधीश की मांग बहुत पहले से होती रही है। अप्रैल में पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा था किभारत के लिए एक महिला मुख्य न्यायाधीश होने का समय आ गया है।