भगवान गणेश के जन्मदिन को हर साल गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। किसी भी पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की आराधना के साथ ही शुरू होती है। हिंदू धर्म में गणपति का महत्व बहुत अधिक होता है। ऐसे में आज गणेश के जन्मदिन पर लोग अपने-अपने अनोखे अंदाज में ‘गणपति बप्पा’ का स्वागत करने की तैयारी कर रहे हैं। 10 सितंबर, 2021 को शुरू होने वाली गणेश चतुर्थी को बहुत प्यार, जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है क्योंकि यह सभी के लिए सकारात्मकता, स्वास्थ्य और खुशी का संदेश फैलाता है।
यह दिन हिंदू महीने भाद्र (अगस्त – सितंबर) की चतुर्थी तिथि (चौथा दिन) पर पड़ता है। इस साल की खास बात ये है कि इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। मान्यता ऐसी है कि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी से शुरू होकर ये महोत्सव अनंत चतुर्दशी को जाकर समाप्त होता है।
इन दस दिनों में भक्त विधि-विधान से लंबोदर की पूजा करते हैं, उन्हें मोदक का भोग लगाते हैं। इस साल उत्सव 10 सितंबर से शुरू होगा और 19 सितंबर तक चलेगा। गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्म को चिह्नित करने के लिए मनाया जाने वाला 10 दिनों तक चलने वाला त्योहार है। यह त्यौहार पूरे देश में विशेष रूप से पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र में बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस महापर्व में यदि शुभ मुहूर्त में गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना की जाए, तो अत्यंत लाभकारी होता है। आइये जानते हैं गणेश स्थापना का शुभ समय और पूजा पूजा विधि।
शुभ समय:
गणेश चतुर्थी के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त 12 बजकर 18 मिनट पर अभिजीत मुहूर्त से शुरू होगा और रात 9 बजकर 57 मिनट तक पूजन का शुभ समय रहेगा।
पूजा विधि:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश जी को तुलसी का पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए। कहा जाता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया था। गणेश चतुर्थी वाले दिन सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्ति होकर सोना, तांबा, चांदी, मिट्टी या गोबर से गणेश जी की मूर्ति बनाकर पूजा करें।
पूजन के समय 21 मोदकों का भोग लगाएं। गणेश जी को हरी दुर्वा के 21 अंकुर लेकर दो-दो करके गणेश जी के 10 नामों का जाप करते हुए पूजन करें।