निवेशक और टैक्स एक्सपर्ट्स उम्मीद कर रहे हैं कि बजट 2022 में सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) योजना के तहत तय अधिकतम जमा राशि की लिमिट में वृद्धि का रास्ता साफ हो जाएगा। अभी एक व्यक्ति को पीपीएफ खाते में प्रति वर्ष 1.5 लाख रुपये तक निवेश करने की अनुमति है। यह जमा राशि आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत टैक्स कटौती के योग्य भी होती है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ ही बजट सत्र की शुरुआत हो गई है। इस बार के बजट से आम लोगों को काफी उम्मीदें हैं। दरअसल, कोरोना कहर के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था और बढ़ती महंगाई के चलते लोग इस आस में हैं कि इस बजट में सरकार उन्हें राहत दे सकती है।इंडियन बैंक एसोसिएशन ने सरकार से यह डिमांड रखी है कि 3 साल के फिस्क्ड डिपॉजिट पर टैक्स छूट के दायरे में लाना चाहिए।
अगर सरकार की तरफ से इसे मंजूरी मिलती है तो निश्चित तौर पर बड़ी राहत होगी। जानकार आगामी बजट में पीपीएफ की वार्षिक डिपॉजिट लिमिट को बढ़ा कर 3 लाख रुपये करने की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने धारा 80सी की जमा सीमा को बढ़ा कर 3 लाख रुपये करने की भी मांग की है।
इससे साल में 80सी के तहत निवेशकों को 1.5 लाख रु बजाय 3 लाख रु की टैक्स छूट मिलेगी। 1.5 लाख रु प्रति वर्ष की वर्तमान जमा सीमा को 2014 से नहीं बदला गया है। इसलिए जानकारों का मानना है कि इस पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है।
साथ ही वैकल्पिक रियायती कर व्यवस्था को अधिक स्वीकार्य बनाने के लिए इसके तहत सर्वाधिक 30 प्रतिशत कर दर के लिए 15 लाख रुपये की आय सीमा को बढ़ाया जाए।
यदि बात करें इनडायरेक्ट टैक्स कि तो इसके तहत: 1-इलेक्ट्रिक वाहनों और पार्ट्स, नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन उपकरणों और इससे संबंधित कंपोनेंट्स के लिए सीमा शुल्क कर ढांचे को युक्तिसंगत बनाया जाए। 2- जांच के लिए आयातित वस्तुओं पर सीमा शुल्क में छूट का विस्तार। 3 – सेमीकंडक्टर विनिर्माताओं के लिए क्षेत्र विशेष छूट।
बता दें कि पीपीएफ जमा पर मौजूदा ब्याज दर 7.1 फीसदी है। मान लें कि ये ब्याज दर मैच्योरिटी तक बरकरार रहे तो कोई व्यक्ति 15 वर्षों में लगभग 40 लाख रुपये प्राप्त कर सकता है।
निवेशकों को 15 साल की जरूरी मैच्योरिटी अवधि के बाद प्रत्येक 5 साल के ब्लॉक में अपने पीपीएफ खाते की अवधि को आगे बढ़ाने की सुविधा मिलती है। अगर जमा की सीमा बढ़ाकर 3,00,000 रु प्रति वर्ष कर दी जाती है, तो निवेशकों को 15 साल बाद पीपीएफ से 80 लाख रुपये से अधिक मिल सकते हैं।
हालांकि ऐसा करने के लिए आयकर नियमों सहित कई रेगुलेटरी बदलाव करने की आवश्यकता होगी। फिलहाल यह देखना बाकी है कि आगामी बजट में पीपीएफ निवेशकों और टैक्स एक्सपर्ट की लंबे समय से चली आ रही इस मांग को पूरा किया जाता है या नहीं।
इसपर डेलॉइट इंडिया के पार्टनर गोकुल चौधरी ने कहा कि बजट से निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है, जहां महंगाई के कारण खर्च करने योग्य आय पर असर पड़ा है।