उत्तर प्रदेश के कानपुर में ट्रिपल मर्डर का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. कल शाम कल्याणपुर इलाके में एक डॉक्टर ने अपनी पत्नी, बेटे और बेटी की उनके घर में कथित तौर पर हत्या कर दी। डीसीपी (पश्चिम) बीबीजीटीएस मूर्ति ने कहा, “एक व्हाट्सएप संदेश में, डॉक्टर ने अपने भाई को अपराध के बारे में सूचित किया और कहा कि वह अवसाद में है।”
सूचना पर पुलिस घर पहुंची तो तीनों के शव बरामद हुए, लेकिन हत्यारोपी फरार हो चुका था। कल्याणपुर क्षेत्र के डिविनिटी अपार्टमेंट में पत्नी व दो बच्चों की हथौड़े से हत्याकर प्रोफेसर फरार हो गया। प्रो. सुशील सिंह डिवनिटी होम अपार्टमेंट के पांचवें फ्लोर पर 501 नंबर फ्लैट में रहते हैं। घर में पत्नी चंद्रप्रभा (48), बेटा शिखर सिंह (18) बेटी खुशी सिंह (16) थे। शुक्रवार शाम करीब 5.32 बजे प्रो. सुशील ने अपने छोटे भाई सुनील सिंह को व्हाट्सएप पर मैसेज किया।
भाई सुनील सिंह मैसेज देखते ही चौंक गए। इसमें लिखा कि सुनील पुलिस को सूचना करो, मैंने डिप्रेशन में चंद्रप्रभा, शिखर, खुशी को मार दिया है। मैसेज देखते ही डॉ. सुनील रूरा पीएचसी से तुरंत निकले और अपार्टमेंट पहुंचे। यहां फ्लैट में सेंट्रल लॉक लगा हुआ था। गार्डों की मदद से दरवाजा तोड़ा तो अंदर सभी के लहूलुहान शव पाए गए।
पुलिस को मौके से एक 10 पेज का सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें डॉक्टर ने ओमिक्रॉन के चलते डिप्रेशन में जूझने समेत कई अन्य बातें लिखी है। इस वारदात से पूरे अपार्टमेंट में हड़कंप और दहशत का माहौल है। प्रोफेसर सुशील सिंह रामा मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष हैं।

डॉ. सुशील कुमार के घर से मिमली डायरी में उन्होंने बेतरतीब ढंग से बहुत कुछ लिख रखा है। इसमें लिखा है कि ओमिक्रॉन…कोविड अब सबको मार डालेगा। अब लाशें नहीं गिननी हैं। अपनी लापरवाहियों के चलते कॅरिअर के उस मुकाम पर फंस गया हूं, जहां से निकलना असंभव है।
मेरा कोई भविष्य नहीं रहा। अत: मैं होशो हवास में अपने परिवार को खत्म करके खुद को भी खत्म कर रहा हूं। इसका जिम्मेदार और कोई नहीं है। आगे उन्होंने लिखा है कि मैं लाइलाज बीमारी से ग्रस्त हो गया हूं। आगे का भविष्य कुछ नजर नहीं आता है। अत: इसके अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं है।
मैं अपने परिवार को कष्ट में नहीं छोड़ सकता। अत: सभी को मुक्ति के मार्ग में छोड़कर जा रहा हूं। सारे कष्ट एक ही पल में दूर कर रहा हूं। अपने पीछे मैं किसी को कष्ट में नहीं देख सकता। मेरी आत्मा मुझे माफ नहीं करती। अलविदा… आंखों की लाइलाज बीमारी की वजह से यह कदम उठाना पड़ रहा है। पढ़ना मेरा पेशा है। अब जब आंख ही नहीं रहेगी तो मैं क्या करूंगा।