वसीम रिजवी जो शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन रह चुके है आज इन्होने इस्लाम धर्म छोड़कर आज से हिंदू धर्म अपना लिया है। गाजियाबाद स्थित डासना के देवी मंदिर में यति नरसिंहानंद सरस्वती ने उन्हें हिंदू धर्म में शामिल कराया। इस मौके पर यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा कि हम वसीम रिजवी के साथ हैं, वसीम रिजवी त्यागी बिरादरी से जुड़ेंगे।
उन्होंने बताया कि रिजवी का नाम अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी होगा। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रह चुके वसीम रिजवी काफी समय से कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। वे कट्टरपंथ के खिलाफ लंबे समय से खुलकर आवाज उठाते रहे हैं। कई बार उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं।
कुछ समय पहले वसीम रिजवी ने कुरान के कथित रूप से विवादित आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को याचिका दाखिल की थी। उनकी याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी थी, साथ ही उन पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। वसीम रिजवी ने कुरान से 26 आयतें हटाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इसके बाद से वसीम रिजवी मुस्लिम संगठनों के निशाने पर हैं। वहीं हिंदू धर्म अपनाने के बाद वसीम रिजवी ने कहा, धर्म परिवर्तन की यहां पर कोई बात नहीं है, जब मुझको इस्लाम से निकाल दिया गया, तब यह मेरी मर्जी है कि मैं किस धर्म को स्वीकार करूं सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है और इतनी उसमें अच्छाइयां पाई जाती हैं, इंसानियत पाई जाती है। हम यह समझते हैं किसी और दूसरे धर्म में नहीं है और इस्लाम को हम धर्म समझते ही नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘ इतना पढ़ लेने के बाद इस्लाम के बारे में, मोहम्मद के बनाए धर्म को पढ़ने के बाद हम यह समझते हैं कि इस्लाम कोई धर्म नहीं है। यह मोहम्मद द्वारा बनाया हुआ एक आतंकी गुट है, जो 1400 साल पहले अरब में तैयार किया गया था। तो जब हमको निकाल दिया गया, हर जुम्मे के बाद हमारा सर काटने के लिए कहा जाता है। हमारे सिर पर हर शुक्रवार को ईनाम बढ़ा दिया जाता है, इसलिए आज मैं सनातन धर्म अपना रहा हूं।’
बीते दिनों वसीम रिजवी ने अपनी वसीयत भी सार्वजनिक की थी। इसमें उन्होंने ऐलान किया था कि मरने के बाद उन्हें दफनाया न जाए, बल्कि हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाए और उनके शरीर को जलाया जाए। वसीम रिजवी ने कहा था कि यति नरसिम्हानंद उनकी चिता को अग्नि दें।